कृषि और पशुपालन


कृषि:

۞    पूर्व काल में सिंधु प्रदेश में प्राकृतिक वनस्पति संपदा अधिक थी, जिसके कारण यहां अधिक वर्षा होती थी।
۞    मोहनजोदड़ो की बाहरी दीवार तथा नगर का बार-बार पुननिर्माण इस बात का संकेत देता है कि वहां हर साल बाढ़ आती थी।
۞    हड़प्पा संस्कृति के लोग अक्टूबर-नवम्बर के महीने में फसल बोते थे तथा मार्च-अप्रैल में काट लेते थे।
۞    कालीबंगा से हड़प्पा-पूर्व काल के कुंड तथा जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं जिससे पता चलता है कि हड़प्पाई हल का इस्तेमाल करते थे।
۞    हड़प्पा संस्कृति की मुख्य फसल गेहूं और जौ थी। इसके अलावा वे राई, मटर, तिल, चना, कपास, खजूर, तरबजूज आदि पैदा करते थे।
۞    चावल के उत्पादन का प्रमाण लोथल और रंगपुर से प्राप्त हुआ है।
۞    हड़प्पावासी अपनी आवश्यकता से अधिक अनाज पैदा करते थे जो शहरों में रहने वाले लोगों के काम आता था।
۞    किसानों से संभवतः कर के रूप में अनाज लिया जाता था।
۞    सिंचाई एवं खाद का कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
۞    सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय हड़प्पा सभ्यता के लोगों को है।
۞    रागी और गन्ने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
۞    अनाज रखने के लिए हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल तथा कालीबंगा में विशाल अन्नागारों का निर्माण हुआ था।



पशुपालन:

۞    हड़प्पा सभ्यता में पाले जाने वाले मुख्य पशु थे-बैल, भेड़, बकरी, भैंस, सुअर, हाथी, कुत्ते, गधे आदि।
۞    हड़प्पा निवासियों को कूबड़वाला सांड विशेष प्रिय था।
۞    ऊंट, गैंडा, मछली, कछुए का चित्रण हड़प्पा संस्कृति की मुद्राओं पर हुआ है।
۞    हड़प्पा संस्कृति में घोड़े के अस्तित्व पर विवाद है। राणाघूंडई से घोड़े की दांत, सूरकोतदा से घोड़े की अस्थि तथा लोथल से घोड़े की मृण्मूर्ति मिली है।
۞    कालीबंगा से ऊंट की हड्डियां मिली है।
۞    बारहसिंगे का एकमात्र प्रमाण आमरी से प्राप्त एक मुहर में मिला है।
۞    शेर का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

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