भारत में आर्यों का आगमन
۞ वेद शब्द ‘विद’धातु से बना
है जिसका शाब्दिक अर्थ है जानना या ज्ञान।
۞ भारत में आर्यों के आगमन की मान्य तिथि 1500 ई.पू. लगभग
है।
۞ वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया
है-ऋग्वैदिक युग (1500
से 1000 ई.पू.) और
उत्तरवैदिक काल (1000.600 ई.पू.)।
۞ आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे यह
इतिहासकारों के बीच एक विवादास्पद प्रश्न है।
वैदिक साहित्य:
۞ वैदिक साहित्य को 5 भागों में
विभाजित किया जाता है-संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद तथा
वेदांग।
۞ वेदों को अपौरुषेय कहा गया है। गुरु द्वारा
शिष्यों को मौखिक रूप से कंठस्थ कराने के कारण वेदों को श्रुति की संज्ञा दी गयी
है।
۞ वेदों की संख्या चार है-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और
अथर्ववेद।
۞ ऋग्वेद विश्व का प्रथम प्रमाणिक ग्रंथ है।
ऋग्वेद:
۞ ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से संबंधित रचनाओं
का संग्रह है।
۞ यह 10 मंडलों में विभक्त है। इसमें 2 से 7 तक के मंडल
प्राचीनतम माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गये हैं। इसमें कुल 1028 सूक्त हैं।
۞ इसकी भाषा पद्यात्मक है।
۞ ऋग्वेद में 33 देवी-देवताओं का उल्लेख
मिलता है।
۞ प्रसि) गायत्री मंत्र जो सूर्य से संबंधित
देवी सावित्री सविता को संबोधित है, ऋग्वेद में सर्वप्रथम प्राप्त होता है।
۞ ‘असतो मा सद्गमय’ वाक्य ऋग्वेद
से लिया गया है।
۞ ऋग्वेद की रचना संभवतः पंजाब
में हुई थी।
۞ ऋग्वेद मंत्र रचयिताओं में स्त्रियों के भी
नाम मिलते हैं, जिनमें
प्रमुख हैं-लोपामुद्रा, घोषा, शाची, पौलोमी एवं
काक्षावृती आदि।
۞ ऋग्वेद के मंडलों के रचियता-....................................
यजुर्वेद:
۞ यजुः का अर्थ होता है यज्ञ।
۞ यजुर्वेद में या विधियों का वर्णन किया गया
है।
۞ इसमें मंत्रों का संकलन आनुष्ठानिक यज्ञ के
समय सस्तर पाठ करने तथा नियमों के पालन करने के उद्देश्य किया गया है।
۞ इसमें मंत्रों के साथ-साथ धार्मिक
अनुष्ठानों का भी विवरण है जिसे मंत्रच्चारण के साथ संपादित किये जाने का
विधान सुझाया गया है।
۞ यजुर्वेद की भाषा पद्यात्मक तथा गद्यात्मक
दोनों है।
۞ यजुर्वेद की दो शाखायें हैं-कृष्ण यजुर्वेद
की चार शाखायें है-मैत्रायणी संहिता, काठक संहिता, कपिंठल तथा
संहिता।
शुक्ल यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं-मध्यान्दिन तथा कण्व संहिता।
۞ यह 40 अध्याय में विभाजित
है।
۞ इसी ग्रंथ में पहली बार राजसूय तथा वाजपेय
जैसे दो राजकीय समारोह का उल्लेख है।
सामवेद:
۞ सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिये गये
मंत्रों को गाने योग्य बनाने हेतु के उद्देश्य से की गयी थी।
۞ इसमें 1810 छन्द है जिनमें 75 को छोड़कर
शेष सभी ऋग्वेद में उल्लेखित है।
۞ सामवेद तीन शाखाओं में विभक्त है-कौथुम, राणायनीय और जैमिनीय।
۞ सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक
होने का गौरव प्राप्त है।
अथर्ववेद:
۞ अथर्ववेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की थी।
۞ इसमें प्राक्-ऐतिहासिक युग की मूलभत मान्यताओं, प्रकृतियों, परम्पराओं तथा
अंधविश्वास का चित्रण है।
۞ अथर्ववेद 20 अध्यायों में संगठित
है। इसमें 731 सूक्त एवं 6000 के लगभग मंत्र
है।
۞ इसमें रोग तथा उसके निवारण के साधन के रूप
में जादू, टोनों आदि की जानकारी दी गयी है।
۞ इसमें अनेक प्रकार की औषधि का वर्णन
है।
۞ अथर्ववेद की दो शाखायें हैं-शौनक और
पिप्लाद।
۞ इसे अनार्यों की कृति मानी जाती है।