हर्यंक वंश (545.412 ई.पू.)


हर्यंक वंश (545.412 ई.पू.) रू

۞    बिम्बिसार (543.492 ई.पू.) इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था जो बु) का समकालीन था। इसका उपनाम श्रेणिक था। इसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया।

۞    बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों के द्वारा अपने राज्य का विस्तार किया तथा इसे सुदृढ़ता प्रदान की। इसने कोशल देश के राजा प्रसेनजित की बहन के साथ विवाह किया जिसमें दहेजस्वरूप काशी का प्रान्त मिला।

۞    इसकी दूसरी पत्नी लिच्छवी प्रमुख चेटक की बहन चेल्लना थी।

۞    मद्र देश के राजा की पुत्राी इसकी तीसरी पत्नी थी।

۞    अवंति के राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए अपने चिकित्सक जीवक को उज्जैन भेजा था।

۞    अजातशत्रा۞ (992.460 ई.पू.) अपने पिता की हत्या कर मगध के सिंहासन पर बैठा। इसका नाम कुणिक भी था।

۞    साम्राज्यवादी नीति के तहत इसने काशी तथा वज्जिसंघ को मगध में मिलाया। इसने अपने ब्राह्मण मंत्री वस्सकार को वघ्घि संघ में फूट डालने के लिए भेजा था।

۞    अजातशत्रा۞ ने रथमूसल तथा महाशिलाकंटक नामक नये हथियार का उपयोग किया।

۞    अजातशत्रा۞ के समय लगभग 483 ई.पू. में राजगृह में बौद्धों की प्रथम संगीति हुई थी।

۞    उदयिन (460.444 ई.पू.) ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्रा नामक नगर की स्थापना की और अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्रा स्थानान्तरित किया।

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