कालामुख एवं कापालिक एवं लिंगायत सम्प्रदाय


कालामुख सम्प्रदाय:

۞    ये अतिवादी विचारधारा के थे। शिव पुराण में इस सम्प्रदाय के अनुयायियों को महाव्रतधर कहा गया है। ये मानव खोपड़ी में खाना खाते थे। भैरव की पूजा करते थे। इस सम्प्रदाय में कालान्तर में जादू-टोने और नरमांस भक्षण तथा नरबलि का प्रचलन हो गया।



कापालिक एवं लिंगायत सम्प्रदाय:

۞    कापालिक सम्प्रदाय का उल्लेख भवभूति के श्मालती माधवश् में मिलता है। यह एक वाममार्गी सम्प्रदाय है।

۞    इस सम्प्रदाय में इष्टदेव भैरव को सुरा और नरबलि का नैवेद्य चढ़ाया जाता है। श्श्री शैलश् इस सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है



۞    लिंगायत सम्प्रदाय को वीरशैव सम्प्रदाय भी कहा जाता है। इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक वासव थे। इस सम्प्रदाय के पुरोहितों को 
जंगम कहा जाता था। कर्नाटक क्षेत्रा में यह काफी प्रचलित था।

۞    कश्मीरी शैव सम्प्रदाय के संस्थापक वसुगुप्त थे। यह एक प्रकार का अद्वैतवाद है।

۞    इस सम्प्रदाय को त्रिक, स्पंद एवं प्रत्याभिज्ञा के नाम से जाना जाता है।

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