अशोक और बौद्ध धर्म

 

अशोक और बौद्ध धर्म:

۞    प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे।

۞    अभिलेखों के अनुसार अशोक के बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त को है।

۞    भाबु शिलालेख में अशोक बौद्ध, संघ और धर्म में विश्वास व्यक्त किया है।

۞    सारनाथ, सांची तथा कौशांबी के लघु-स्तंभों में अशोक बौ धर्म के रक्षक के रूप में अपने को प्रदर्शित करता है। निस्संदेह अशोक का व्यक्तिगत धर्म बौद्ध था।

۞    अशोक का धम्म दीर्घनिकाय के राहुलोवादसुत्त से प्रभावित है।

۞    फ्लीट धम्म को राजधर्म मानते हैं। रोमिला थापर ने धम्म को अशोक की निजी कल्पना माना तथा डी.आर. भंडारकर के अनुसार अशोक के धम्म का मूल स्रोत बौ) धर्म ही है।

۞    अशोक का धम्म बौद्ध धर्म नहीं था वस्तुतः माव की उन्नति तथा नैतिक उत्थान के लिए प्रयास को अशोक के लेखों में धम्म कहा गया है। धम्म के दो पहलू हैं-पहले के अंतर्गत वे निदेश हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए और दूसरे पहलू में निषेधात्मक निदेश है जिनका परित्याग किया जाना चाहिए। दूसरे और सातवें स्तम्भलेख में अशोक ने धम्म की विस्तृत व्याख्या की है।

۞    अशोक ने तत्कालीन सामाजिक तनाव और संकीर्णतावादी झगड़ों का समाप्त करने और अपने विशाल साम्राज्य के भिन्न-भिन्न भागों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंधों को विकसित करने के लिए तथा राजनीतिक एकता के लिए धम्म का प्रतिपादन किया।

۞    अशोक ने तत्कालीन सामाजिक तनाव और संकीर्णतावादी झगड़ों को समाप्त करने और अपने विशाल साम्राज्य के भिन्न-भिन्न भागों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंधों को विकसित करने के लिए तथा राजनीतिक एकता के लिए धम्म का प्रतिपादन किया।

۞    अशोक ने राज्याभिषेक के दसवें वर्ष बोध गया तथा बीसवें वर्ष लुम्बिनी की यात्रा की।

۞    तीसरे एवं सातवें स्तम्भ लेख में अशोक ने युक्तक, रज्जुक तथा प्रादेशिक नामक पदाधिकारी को जनता के बीच धर्म एवं प्रचार का उपदेश करने का आदेश दिया।



धर्म प्रचारक



 

۞    दीरपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक ने पाटलिपुत्रा में तृतीय बो) संगीति का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता मोग्गलिपुत्ततिस्सस ने की।

۞    तृतीय बौ) संगीति के बाद कुछ ख्याति प्राप्त बौ) भिक्षुओं को धर्म के प्राचारार्थ विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया।

۞    डा. स्मिथ के अनुसार अशोक की यात्रा का क्रम-लुम्बिनी, कपिलवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, बौ) गया एवं कुशीनगर था।

۞    अपने शासन के तेरहवें वर्ष अशोक ने धम्म प्रचार के लिए धम्म महामात्रों की नियुक्ति की। इनका कार्य धम्म की रक्षा और धम्म वृद्धि करना था।

۞    अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया था। शासनकाल के 14 वर्ष बाद श्कनकमुनिश् बौ) स्तूप को दुगुना करवाया था।

۞    बराबर पहाड़ी पर अशोक ने आजीवकों के लिए कर्ण, चोपार, सुदामा व विश्व झोपड़ी गुफा का निर्माण करवाया था।

۞    प्रादेशिक, रज्जुक और युक्तक ये सभी अधिकारी प्रति पांचवें वर्ष राज्य निरीक्षाटन के लिए जाते थे।

۞    पुराणों के अनुसार अशोक ने कुल 37 वर्षों तक शासन किया तथा उसके बाद कुणाल गद्दी पर बैठा। दिव्यावदान में उसे श्धर्मविवर्धनश् कहा गया है।


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