भागवत धर्म


भागवत धर्म: 

۞    भागवत सम्प्रदाय का उदय ब्राह्मण धर्म के जटिल कर्मकांड एवं यज्ञीय व्यवस्था के विरू) प्रतिक्रियास्वरूप हुआ।

बु) से जुड़े प्रतीक
     घटना  प्रतीक/चिन्ह
     जन्म   कमल व सांड़
     गृहत्याग घोड़ा
     ज्ञान   पीपल वृक्ष
     निर्वाण  पद चिन्ह
     मृत्यु   स्तूप   

۞    भागवत धर्म में मुक्ति के साधन के रूप में श्भक्तिश् को अपनाया गया है।
۞    छांदोग्य उपनिषद में वासुदेव कृष्ण का सर्वप्रथम उल्लेख है।
۞    पाणिनी के व्याकरण में वासुदेव शब्द का उल्लेख प्राप्त होता है।
۞    भागवत धर्म के प्रवर्तक सत्यत वंशी कृष्ण थे। इसके सिद्धान्तों के अनुसार विश्व की एकमात्रा सत्ता कृष्ण है।
۞    भागवत धर्म में पांच प्रकार की मुक्तियों का वर्णन है।
۞    मेगास्थनीज ने कृष्ण के लिए हेराक्लीज शब्द का उल्लेख किया है।
۞    भागवत धर्म में कृष्ण के अतिरिकत् चार अन्य देवता संकर्षण (कृष्ण एवं रोहिणी से उत्पन्न पुत्राद्धए प्रद्युम्न (कृष्ण एवं रुक्मिणी से उत्पन्न पुत्राद्धए साम्ब (कृष्ण के पुत्रा प्रद्युम्न के पुत्रा) की पूजा की जाने लगी।
۞    हेलियोडोरस ने वसुदेव के सम्मान में बेसनगर में एक गरुड़ ध्वज स्थापित किया था।
۞    कृष्णा जिले में प्राप्त चिन्ना अभिलेख वसुदेव की स्तुति से प्रारम्भ होता है।

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