भारत में आदि मानव
प्रस्तर
युग:
۞ इतिहास के जिस काल की जानकारी के लिए लिखित
साधन का अभाव है तथा मानव असभ्य जीवन जी रहा था उसे ‘प्रागैतिहासिक
काल’
कहा
जाता है।
۞ जिस काल की जानकारी के लिए लिखित साधन तो
उपलब्ध है परन्तु उसे पढ़ा नहीं जा सका है उसे ‘आद्य इतिहास’ कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता आद्य इतिहास काल है।
۞ इतिहास की जिस काल की जानकारी के स्रोत के रूप में लिखित साधन
उपलब्ध है उसे ‘ऐतिहासक
काल’कहते
हैं।
۞ मानव का अस्तित्व पृथ्वी पर अतिनूतन काल के
आरम्भ में हुआ।
۞ गर्त आवास का साक्ष्य गुफ्फकरल, बुर्जहोम तथा
नागर्जुनकोंडा से मिला है।
۞ बेलन घाटी क्षेत्र पुरापाषाण काल के तीनों चरण
से जुड़ा है।
۞ भीमबेटका से गुफा चित्रकारी के साक्ष्य मिले
हैं।
۞ मध्य प्रदेश के आदमगढ़ तथा राजस्थान के बागोर
से पशुपालन के सबसे पुराने साक्ष्य मिलते हैं।
۞ मेहरगढ़ से सर्वप्रथम कृषि का साक्ष्य मिला
है।
۞ नवपाषाण युग के हड्डी के हथियार बिहार के
चिरांद नामक स्थान से प्राप्त हुए है।
۞ इलाहाबाद के ‘कोल्डीहवा’ स्थान से चावल
की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
۞ गर्त चूल्हे का प्राचीन साक्ष्य लंघनाज तथा
सरायनाहर राय से मिला है।
۞ मुपगल तथा काडैकल से राख का टीला मिला है।
۞ मृदभांड निर्माण का प्राचीनतम साक्ष्म चैपानी
मांडो से मिला है।
۞ मनुष्य के साथ पालतू पशु को दफनाने का साक्ष्य
बुर्जहोम से मिला है।
हड़प्पा संस्कृति
۞ हड़प्पा सभ्यता का नामकरण हड़प्पा स्थल के नाम
से किया गया क्योंकि यहां से सबसे पहले इस सभ्यता से संबंधित सामग्री मिलती है।
۞ हड़प्पा सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता है।
۞ हड़प्पा सभ्यता का पूरा क्षेत्रफल लगभग 1,22,99,600 वर्ग किमी.
है।
۞ हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाग आते हैं।
۞ हड़प्पा सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार था।
۞ इस सभ्यता का काल निर्धारण एक विवादास्पद विषय
रहा है। रेडियो कार्बन तिथि के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का सर्वमान्य काल 2300-1750 ई. पू. को माना जाता
है।
۞ इस सभ्यता का विकसित अथवा परिपक्व चरण 2500-2200 ई.पू. को माना जाता
है।
۞ जॉन मार्शल ‘सिंधु सभ्यता’ नाम का
प्रयोग करने वाले पहले पुरातत्वविद् थे।
۞ मार्टिमर व्हीलर के अनुसार हड़प्पा सभ्यता की
प्रेरणा मेसोपोटामिया से प्राप्त हुई थी।
۞ गार्डन चाइल्ड इस सभ्यता के निर्माण सुमेरियन
को मानते हैं।
۞ अमलानन्द घोष ने ‘सोथी संस्कृति’ का हड़प्पा
के विकास में महत्वपूर्ण योगदान माना है।
۞ राखलदास बनर्जी ने द्रविड़ों को इस सभ्यता का
निर्माता माना है।
۞ एलचिंसन ने पूर्व हड़प्पा कालीन संस्कृति के बीच
क्रमबद्धता पर जोर दिया है।
۞ हड़प्पा संस्कृति की जनसंख्या चार विभिन्न
प्रजातीय समूहों- प्रोटो-आस्ट्रेलाइड, भूमध्यसागरीय, अल्पाइन और
मंगोलीय से संबंधित थे।
۞ मोहनजोदड़ों की बहुसंख्यक जनता भूमध्यसागरीय
प्रजाति की थी।